Subscribe Us

header ads

संताली के लिए ओल चिकी लिपि से पूर्ण उच्चारण होती है।



ओल चिकी लिपि संताली भाषा के लिए क्यों आवश्यक है?  

आपके तर्कों का उत्तर देते हुए, मैं यह कहना चाहूंगा कि ओल चिकी लिपि संताली भाषा की पहचान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसे अस्वीकार करने से संताली भाषा और समुदाय को दीर्घकालिक नुकसान होगा। आइए, आपके उठाए गए बिंदुओं का उत्तर दें:  

---

1. संवैधानिक स्थिति और ओल चिकी की मान्यता 
यह सही है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में संताली भाषा शामिल की गई है, न कि विशेष रूप से ओल चिकी लिपि को। लेकिन किसी भाषा के विकास के लिए उसकी अपनी लिपि का होना आवश्यक है। **ओल चिकी एकमात्र लिपि है जो संताली भाषा की ध्वनियों को पूर्ण रूप से व्यक्त कर सकती है।**  

डोगरी, मैथिली और बोडो भाषाओं को देवनागरी में लिखा जाता है, लेकिन वे उन भाषाओं की ध्वनि संरचना के अनुकूल हैं। **संताली भाषा की ध्वनि संरचना भारतीय भाषाओं से अलग है**, इसलिए **देवनागरी, बंगाली या ओड़िया में इसे पूरी तरह से व्यक्त नहीं किया जा सकता**।  

---

### **2. अधिसूचना की गलत व्याख्या**  
संविधान में भाषा को शामिल करने का अर्थ यही है कि सरकार को इसे बढ़ावा देना चाहिए। ओल चिकी को संताली भाषा की **मूल लिपि** के रूप में स्वीकार किया गया है, और इसे सरकारी मान्यता भी प्राप्त है।  

---

### **3. ओल चिकी की अनिवार्यता**  
संताली भाषा की मौलिकता बनी रहे, इसके लिए ओल चिकी आवश्यक है। यदि इसे हटा दिया जाए और केवल देवनागरी या बंगाली लिपि को अपनाया जाए, तो संताली भाषा धीरे-धीरे अन्य भाषाओं में मिल जाएगी और अपनी विशिष्ट पहचान खो देगी।  

---

### **4. ओल चिकी विद्यार्थियों का प्रदर्शन**  
यदि ओल चिकी माध्यम के छात्रों का परीक्षा परिणाम कमजोर है, तो इसका कारण **शिक्षा प्रणाली में खामियां** हैं, न कि लिपि। ओल चिकी को और अधिक मजबूत करने के लिए **बेहतर शिक्षकों, संसाधनों और पाठ्यक्रम** की जरूरत है।  

---

### **5. माता-पिता का विरोध और स्कूलों का बंद होना**  
अगर कुछ माता-पिता अपने बच्चों को ओल चिकी माध्यम से पढ़ाने से हिचक रहे हैं, तो इसका कारण **सरकारी उदासीनता और जागरूकता की कमी** है।  
- यदि सरकार ओल चिकी को लेकर सही प्रयास करे, तो इसे और अधिक लोग अपनाएंगे।  
- पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसके प्रति विरोध मुख्य रूप से **राजनीतिक कारणों और भेदभाव के कारण है**, न कि भाषा की उपयोगिता के कारण।  

---

### **6. बोर्ड परीक्षाओं में कम छात्रों का शामिल होना**  
झारखंड में **15,570** छात्र ओल चिकी माध्यम में परीक्षा दे रहे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल **470**। यह अंतर दिखाता है कि झारखंड में सरकार ने इसे सही तरीके से लागू किया, जबकि पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसे दबाने की कोशिश की गई।  

---

### **7. ड्रॉपआउट दर अधिक होना**  
अगर ओल चिकी स्कूलों में ड्रॉपआउट अधिक हो रहा है, तो इसका कारण लिपि नहीं, बल्कि **अपर्याप्त सरकारी सहायता, संसाधनों की कमी और प्रशासनिक लापरवाही** है।  

---

### **8. ओल चिकी का राजनीतिक दुरुपयोग**  
अगर कोई सरकार ओल चिकी का गलत उपयोग कर रही है, तो इसका दोष लिपि पर नहीं, बल्कि **उन लोगों पर है जो इसे राजनीतिक हथियार बना रहे हैं**।  
- ओल चिकी संताली समाज की पहचान को बचाने के लिए बनाई गई थी।  
- इसे राजनीतिक सौदेबाजी से जोड़ना एक **भ्रामक तर्क** है।  

---

### **9. कुर्मी-महतो समुदाय को एसटी में शामिल करने का सौदा**  
अगर पश्चिम बंगाल सरकार इसे किसी अन्य समुदाय को एसटी दर्जा देने के बदले सौदेबाजी के रूप में उपयोग कर रही है, तो यह सरकार की गलती है, न कि ओल चिकी की।  

---

### **10. संताल समाज में विभाजन**  
ओल चिकी संताल समाज को तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि **संताली भाषा को मजबूत करने और उसकी एकता को बनाए रखने के लिए बनाई गई थी**।  
- अगर कोई इसे विभाजन के रूप में देखता है, तो यह उनके दृष्टिकोण की समस्या है।  
- **संताल परगना और अन्य क्षेत्रों में एकता लाने के लिए ओल चिकी को और मजबूत करने की जरूरत है**।  

---

### **11. भाषा और पहचान का संकट**  
अगर संताली भाषा को देवनागरी, बंगाली या ओड़िया में लिखा जाएगा, तो धीरे-धीरे यह भाषा उन भाषाओं में विलीन हो जाएगी और संताली समाज की **अलग पहचान मिट जाएगी**।  
- ओल चिकी लिपि संताली भाषा की **असली आत्मा** है।  
- इसे छोड़कर **देवनागरी या अन्य लिपियों को अपनाने का मतलब संताली भाषा की हत्या करना होगा**।  

---

### **निष्कर्ष:**  
- ओल चिकी **संताली भाषा की मौलिक पहचान** को बचाने का एकमात्र तरीका है।  
- इसे अपनाने से भाषा को **सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और अंतरराष्ट्रीय पहचान** मिलेगी।  
- सरकारों को ओल चिकी शिक्षा में सुधार के लिए **संसाधन, अच्छे शिक्षक और पाठ्यक्रम** प्रदान करने चाहिए।  
- **ओल चिकी को खत्म करने की कोई भी कोशिश संताली भाषा और संस्कृति को नष्ट करने के समान होगी**।  

इसलिए, **ओल चिकी को हर हाल में बनाए रखना और आगे बढ़ाना चाहिए**।

Post a Comment

0 Comments