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संताली भाषा को गूगल अनुवाद में ओल चिकी लिपि से अंतरराष्ट्रीय तक आदान प्रदान अन्य भाषाओं के साथ

संताली भाषा को गूगल अनुवाद में ओल चिकी लिपि से अंतरराष्ट्रीय तक आदान प्रदान अन्य भाषाओं के साथ

ओल चिकी लिपि से संताली भाषा को गूगल अनुवाद में जोड़ने से लोगों में खुशी की लहर

उत्तरी छोटानागपुर, झारखंड:- संताली भाषा के संरक्षण और प्रसार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, गूगल अनुवाद (गूगल ट्रांसलेट) ने संताली भाषा को उसकी प्राचीन और विशिष्ट ओल चिकी लिपि में शामिल कर लिया है। यह संताली बोलने वाले समुदाय के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि है, जिसके चलते पूरे समुदाय में खुशी और गर्व की भावना व्याप्त है। जिससे भाषा के विकास और उसके उपयोग में व्यापकता आएगी। 

ओल चिकी लिपि का महत्व और संताली भाषा का विकास
संताली भाषा, जो भारत के झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्यों में बोली जाती है, अब नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भी एक महत्वपूर्ण भाषा बन गई है। संताली भाषा ऑस्ट्रो-एशियाटिक भाषा परिवार की एक प्रमुख भाषा है, लेकिन इसे अब तक बंगला, रोमन, देवनागरी और उड़िया लिपियों में लिखा जाता था, जिससे अन्य भाषा की लिपियों को विभिन्न क्षेत्रों में समझना और सिखाना मुश्किल हो जाता था। 

ओल चिकी लिपि का आविष्कार 1925 में गुरु गोंके पंडित रघुनाथ मुर्मू ने किया था। इस लिपि ने संताली भाषा के लिए एक मानकीकृत प्रणाली का निर्माण किया, जिससे संताली को लिखने और पढ़ने में सरलता आई। ओल चिकी ने संताली भाषा को न केवल एक पहचान दी, बल्कि इसे सांस्कृतिक और भाषाई स्तर पर संरक्षित रखने में भी मदद की। इस लिपि के माध्यम से संताली समुदाय ने अपनी भाषा को मजबूत किया और आज यह लिपि संताली भाषा के लिए मान्यता प्राप्त प्रमुख लिपि बन चुकी है।

गूगल अनुवाद में संताली (ओल चिकी) भाषा का शामिल होना

गूगल अनुवाद में संताली भाषा को ओल चिकी लिपि में शामिल किए जाने के बाद, अब यह भाषा दुनिया भर में डिजिटल माध्यमों पर पहुंचने के लिए तैयार है। संताली बोलने वाले लोग अब गूगल अनुवाद का उपयोग करके अपनी भाषा को अन्य भाषाओं में अनुवाद कर सकेंगे, और अन्य भाषाओं से संताली में अनुवाद कर सकेंगे। यह सुविधा न केवल भाषा को संचार का एक माध्यम बनाएगी, बल्कि इसे सीखने और समझने के लिए भी एक उपयोगी संसाधन प्रदान करेगी।

संताली समुदाय के लोगों में गूगल अनुवाद पर अपनी भाषा के शामिल होने की खबर से खुशी की लहर दौड़ गई है। अब वे अपनी भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर देख सकेंगे और अन्य भाषाओं के साथ संवाद करने में सक्षम होंगे। इस कदम से संताली भाषा के विकास और प्रसार में भी तेजी आएगी, जिससे यह भाषा केवल एक क्षेत्रीय भाषा न रहकर एक वैश्विक भाषा के रूप में विकसित होगी।

2019 से प्रयास और 2024 में सफलता

गूगल अनुवाद में संताली भाषा को ओल चिकी लिपि में शामिल करने का यह सफर आसान नहीं था। 2019 से ही इस दिशा में प्रयास किए जा रहे थे, जिसमें विभिन्न राज्यों और देशों के संताली भाषा प्रेमियों और संताल समुदायों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्षों की कड़ी मेहनत और सतत प्रयासों के बाद, अंततः अक्टूबर 2024 में यह सफलता प्राप्त हुई, जिससे संताल समुदाय में उत्सव का माहौल है। 

इस सफलता में योगदानकर्ताओं में आर. अश्वनी बंजन मुर्मू (मयूरभंज), रामजीत टुडू (मयूरभंज), प्रशांत हेंब्रम (बालेश्वर), सामू टुडू (पूर्वी सिंहभूम), बिजेंद्र हाँसदा (बोकारो), प्रेमचंद मुर्मू (बोकारो), सुकू मुर्मू (पश्चिम बर्धमान), बोदी बास्की (बोलपुर), फागू बास्के (मयूरभंज), कारिया बास्के (मयूरभंज), दुर्गा सोरेन (मयूरभंज), मैना टुडू (विशाखापट्टनम), सुबास मुर्मू (बांग्लादेश), मानिक सोरेन (बांग्लादेश), आर्यन मुर्मू (बालेश्वर), पिंकी हांसदा (धनबाद), शिबू मुर्मू (नेपाल), शेखर मुर्मू (जमशेदपुर), रमेश मुर्मू (सरायकेला) और अन्य प्रमुख व्यक्ति शामिल हैं। कई लोगों ने अपने अथक प्रयासों और योगदान से इस परियोजना को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

संताली भाषा का भविष्य और वैश्विक पहचान
संताली भाषा को ओल चिकी लिपि के माध्यम से गूगल अनुवाद में शामिल किए जाने से इसका भविष्य और उज्ज्वल हो गया है। यह कदम भाषा को डिजिटल दुनिया में मजबूत उपस्थिति देगा और इसे वैश्विक मंच पर एक सशक्त भाषा के रूप में स्थापित करेगा। इससे न केवल संताल समुदाय के लोग अपनी भाषा को संरक्षित कर सकेंगे, बल्कि वे इसका अधिक प्रभावी और व्यापक उपयोग भी कर सकेंगे।

यह पहल संताली भाषा के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है, जिससे भाषा को वैश्विक पहचान और सम्मान मिलेगा। इसके साथ ही, यह संताली संस्कृति को भी संरक्षित और प्रोत्साहित करेगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत साबित होगी।

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